
भारत का स्वतंत्रता दिवस हर साल 15 अगस्त को मनाया जाता है और इस दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाता है। इस साल भारत ब्रिटिश शासन से अपनी आजादी के 76 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है। भारत के लोग इस दिन को राष्ट्रीय ध्वज फहराकर, मार्च-पास्ट करके और सामाजिक कार्य करके अत्यंत देशभक्ति के साथ मनाते हैं। Independence Day Poem in Hindi भारत के प्रधान मंत्री हर साल स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और राष्ट्रवादी भाषण देते हैं। कई टीवी चैनल पूरे उत्सव को वैसे ही साझा करते हैं और दिखाते हैं जैसे यह होता है। स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, कार्यालय और अन्य स्थान गतिविधियों और मनोरंजक कार्यक्रमों की योजना बनाकर जश्न मनाते हैं।
Independence Day Poem in Hindi
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
सदा शक्ति बरसाने वाला,
प्रेम सुधा सरसाने वाला
वीरों को हर्षाने वाला
मातृभूमि का तन-मन सारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
स्वतंत्रता के भीषण रण में,
लखकर जोश बढ़े क्षण-क्षण में,
काँपे शत्रु देखकर मन में,
मिट जाये भय संकट सारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
इस झंडे के नीचे निर्भय,
हो स्वराज जनता का निश्चय,
बोलो भारत माता की जय,
स्वतंत्रता ही ध्येय हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
आओ प्यारे वीरों आओ,
देश-जाति पर बलि-बलि जाओ,
एक साथ सब मिलकर गाओ,
प्यारा भारत देश हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
इसकी शान न जाने पावे,
चाहे जान भले ही जावे,
विश्व-विजय करके दिखलावे,
तब होवे प्रण-पूर्ण हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
….श्यामलाल गुप्त पार्षद
भारत मेरा प्यारा देश,
सब देशो से न्यारा देश|
भारत मेरा प्यारा देश,
सब देशो से न्यारा देश|
हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई
मिलकर रहते सिख-ईसाई|
हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई
मिलकर रहते सिख-ईसाई|
इसकी धरती उगले सोना,
ऊँचा हिमगिरी बड़ा सलोना|
इसकी धरती उगले सोना,
ऊँचा हिमगिरी बड़ा सलोना|
सागर धोता इसके पाँव,
हैं इसके अलबेले गाँव|
सागर धोता इसके पाँव,
हैं इसके अलबेले गाँव|
भारत मेरा प्यारा देश,
सब देशो से न्यारा देश|
पंद्रह अगस्त की पुकार
पंद्रह अगस्त का दिन कहता: आज़ादी अभी अधूरी है।
सपने सच होने बाकी है, रावी की शपथ न पूरी है॥
जिनकी लाशों पर पग धर कर आज़ादी भारत में आई,
वे अब तक हैं खानाबदोश ग़म की काली बदली छाई॥
कलकत्ते के फुटपाथों पर जो आँधी-पानी सहते हैं।
उनसे पूछो, पंद्रह अगस्त के बारे में क्या कहते हैं॥
हिंदू के नाते उनका दु:ख सुनते यदि तुम्हें लाज आती।
तो सीमा के उस पार चलो सभ्यता जहाँ कुचली जाती॥
इंसान जहाँ बेचा जाता, ईमान ख़रीदा जाता है।
इस्लाम सिसकियाँ भरता है, डालर मन में मुस्काता है॥
भूखों को गोली नंगों को हथियार पिन्हाए जाते हैं।
सूखे कंठों से जेहादी नारे लगवाए जाते हैं॥
लाहौर, कराची, ढाका पर मातम की है काली छाया।
पख्तूनों पर, गिलगित पर है ग़मगीन गुलामी का साया॥
बस इसीलिए तो कहता हूँ आज़ादी अभी अधूरी है।
कैसे उल्लास मनाऊँ मैं? थोड़े दिन की मजबूरी है॥
दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुन: अखंड बनाएँगे।
गिलगित से गारो पर्वत तक आज़ादी पर्व मनाएँगे॥
उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से कमर कसें बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो न जाएँ, जो खोया उसका ध्यान करें॥
….अटल बिहारी वाजपेयी
लाल रक्त से धरा नहाई,
श्वेत नभ पर लालिमा छायी,
आजादी के नव उद्घोष पे,
सबने वीरो की गाथा गायी,
गाँधी ,नेहरु ,पटेल , सुभाष की,
ध्वनि चारो और है छायी,
भगत , राजगुरु और , सुखदेव की
क़ुरबानी से आँखे भर आई,
ऐ भारत माता तुझसे अनोखी
और अद्भुत माँ न हमने पाय ,
हमारे रगों में तेरे क़र्ज़ की,
एक एक बूँद समायी
माथे पर है बांधे कफ़न
और तेरी रक्षा की कसम है खायी,
सरहद पे खड़े रहकर
आजादी की रीत निभाई !
भारत

“अनेकों उतार-चढ़ाव देख कर भी
अनेकों आक्रमण स्वयं पर झेल कर भी
चट्टान सा खड़ा है, एक गुरु की भांति
माँ की ममता है इसमें, यह अविरल है नदियों की भांति
असंख्य साधकों की तपस्थली है भारत
असंख्य वीरों की जननी है भारत
बलिदानों से सिंचित यहाँ की माटी है
अतुल्नीय ज्ञान की धरती है भारत
अकल्पनीय है भारत के बिना विश्व की उन्नति
अद्वित्य है भारत की सम्पन्नता और समृद्धि
भारत के कण-कण में माँ की ममता है
भारत की स्वतंत्र हवाओं में पिता सा दुलार है
शरणागतों की सदा ही रक्षा करती
वीरता का पर्याय अपनी मातृभूमि भारत है
निज ज्ञान से विश्व के अज्ञान का नाश करती
बलिदानों की पुण्यभूमि अपना भारत है…”
….मयंक विश्नोई
क्या प़ढ़ते हो कि़ताबो मे
आ़ओ मै तुम्हे़ ब़ताती हू,
पन्द्रह अग़स्त की अ़सली परिभाषा
आज़ अ़च्छे से स़मझती हू।
एक़ दौर था जब़ भारत को,
सोने की़ चिड़िया क़हते थे।
कैद़ क़र लिया इ़स चिड़िये को,
वो शिका़री अग्रेज क़हलाते थे।
कुत़र-कुत़र क़र सारे पख,
अधम़रा क़र छोड़ा था।
सासे़ च़ल रही थी ब़स,
ताक़त से अब़ रिश्ता पुराना था।
क़हते है कि हिम्म़त से ब़ढ़ क़र,
दुनिया मे औऱ कु़छ ऩहीं होता।
क़तरा-क़तरा समेट क़र,
फिर उ़ठ ख़ड़ी हुई वो चिड़िया।
बिख़र ग़ए थे सारे पख,
तो बि़न पखो के उ़ड़ना सीख़ लिया।
परिस्थिति चाहे जै़सी भी थी दोस्तो,
उ़सने लड़ना सीख़ लिया।
ल़ड़ती रही अतिम सा़स तक़,
और सफ़लता उसके हाथ़ लगी।
आज़ादी की थी चाह़ मन मे,
और वो आ़ज़ादी के़ घ़र लौट ग़यी।
आज़ उस चिड़िया को ह़म,
गर्व से भारत बु़लाते है।
और सीना़ ग़द-ग़द हो जाता,
ज़ब हम़ भारतीय क़हलाते है।
आज़ादी का य़ह प़र्व दोस्तो,
आ़ओ मिल क़र म़नाते है,
चाहे ऱहे हम अमेरिका या ल़दन
भारत को आगे़ ब़ढ़ाते है,
भारत के गुण़ गाते है औ़र
पन्द्रह अग़स्त मनाते हैं।
है गर्व हमें आज़ादी पर अपनी
है गर्व हमें आज़ादी पर अपनी,
इसको कभी न मिटने देंगे।
झुका नही जो शीश कभी,
उसको हम न झुकने देंगे।
है गर्व हमें आज़ादी पर अपनी,
इसको कभी न मिटने देंगे।
है गर्व हमें कुर्बानी पर अपनी,
व्यर्थ इसे न होने देंगे।
रक्षक बनकर इसके हम सब,
इसकी आभा न खोने देंगे।
है गर्व हमें आज़ादी पर अपनी,
इसको कभी न मिटने देंगें।
है गर्व हमें मिट्टी पर अपनी,
इसको धूमिल न होने देंगे।
मातृ भक्ति की खुशबू से,
इसको चंदन कर देंगे।
है गर्व हमें आज़ादी पर अपनी,
इसको कभी न मिटने देंगें।
है गर्व हमें संस्कृति पर अपनी,
इसको संवृद्ध कर देंगे।
देकर इसको नई ऊंचाइयां,
रौशन इसको हम कर देंगे।
है गर्व हमें आज़ादी पर अपनी,
इसको कभी न मिटने देंगें।
है गर्व हमें भारत पर अपने,
अमर नाम इसका कर देंगे।
बरसा कर देशभक्ति का जल,
इसको पावन कर देंगे।
है गर्व हमें आज़ादी पर अपनी,
इसको कभी न मिटने देंगें।
जब भारत आज़ाद हुआ था
जब भारत आज़ाद हुआ था|
आजादी का राज हुआ था||
वीरों ने क़ुरबानी दी थी|
तब भारत आज़ाद हुआ था||
भगत सिंह ने फांसी ली थी|
इंदिरा का जनाज़ा उठा था||
इस मिटटी की खुशबू ऐसी थी
तब खून की आँधी बहती थी||
वतन का ज़ज्बा ऐसा था|
जो सबसे लड़ता जा रहा था||
लड़ते लड़ते जाने गयी थी|
तब भारत आज़ाद हुआ था||
फिरंगियों ने ये वतन छोड़ा था|
इस देश के रिश्तों को तोडा था||
फिर भारत दो भागो में बाटा था|
एक हिस्सा हिन्दुस्तान था||
दूसरा पाकिस्तान कहलाया था|
सरहद नाम की रेखा खींची थी||
जिसे कोई पार ना कर पाया था|
ना जाने कितनी माये रोइ थी,
ना जाने कितने बच्चे भूके सोए थे,
हम सब ने साथ रहकर
एक ऐसा समय भी काटा था||
विरो ने क़ुरबानी दी थी
तब भारत आज़ाद हुआ था||
आज़ादी के साल हुए कई
आज़ादी के साल हुए कई,
पर क्या हमने पाया है.
सोचा था क्या होगा लेकिन,
सामने पर क्या औया है.
रामराज्य-सा देश हो अपना
बापू का था सपना,
चाचा बोले आगे बढ़ कर
कर लो सब को अपना.
आज़ादी फिर छीने न अपनी
दिया शास्त्री ने नारा,
जय-जयकार किसान की अपनी
जय जवान हमारा.
सोचो इनके सपनों को हम
कैसे साकार करेंगे,
भ्रष्टाचार हटा देंगे हम
आगे तभी बढ़ेंगे.
मुश्किल नहीं पूरा करना
इन सपनों का भारत,
अपने अन्दर की शक्ति को
करो अगर तुम जाग्रत.
आओ मिलकर कसम ये खायें,
ऐसा सभी करेंगे,
शिक्षित हो अगर हर बच्चा,
उन्नति तभी हम करेंगे.
भारत मेरा प्यारा देश
भारत मेरा प्यारा देश,
सब देशो से न्यारा देश|
भारत मेरा प्यारा देश,
सब देशो से न्यारा देश|
हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई
मिलकर रहते सिख-ईसाई|
हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई
मिलकर रहते सिख-ईसाई|
इसकी धरती उगले सोना,
ऊँचा हिमगिरी बड़ा सलोना|
इसकी धरती उगले सोना,
ऊँचा हिमगिरी बड़ा सलोना|
सागर धोता इसके पाँव,
हैं इसके अलबेले गाँव|
सागर धोता इसके पाँव,
हैं इसके अलबेले गाँव|
भारत मेरा प्यारा देश,
सब देशो से न्यारा देश|
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
सदा शक्ति बरसाने वाला,
प्रेम सुधा सरसाने वाला
वीरों को हर्षाने वाला
मातृभूमि का तन-मन सारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
स्वतंत्रता के भीषण रण में,
लखकर जोश बढ़े क्षण-क्षण में,
काँपे शत्रु देखकर मन में,
मिट जाये भय संकट सारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
इस झंडे के नीचे निर्भय,
हो स्वराज जनता का निश्चय,
बोलो भारत माता की जय,
स्वतंत्रता ही ध्येय हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
आओ प्यारे वीरों आओ,
देश-जाति पर बलि-बलि जाओ,
एक साथ सब मिलकर गाओ,
प्यारा भारत देश हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
इसकी शान न जाने पावे,
चाहे जान भले ही जावे,
विश्व-विजय करके दिखलावे,
तब होवे प्रण-पूर्ण हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
….श्यामलाल गुप्त पार्षद
Independence Day Poem in Hindi short
लाल रक्त से धरा नहाई,
श्वेत नभ पर लालिमा छायी,
आजादी के नव उद्घोष पे,
सबने वीरो की गाथा गायी,
गाँधी ,नेहरु ,पटेल , सुभाष की,
ध्वनि चारो और है छायी,
भगत , राजगुरु और , सुखदेव की
क़ुरबानी से आँखे भर आई ||
ऐ भारत माता तुझसे अनोखी,
और अद्भुत माँ न हमने पाय ,
हमारे रगों में तेरे क़र्ज़ की,
एक एक बूँद समायी .
माथे पर है बांधे कफ़न ,
और तेरी रक्षा की कसम है खायी,
सरहद पे खड़े रहकर,
आजादी की रीत निभाई…
झंडा ऊंचा हमारा रहे
“शरीर का रोम-रोम, रक्त में उबाल भरे
राष्ट्र पर समर्पण के लिए तन-मन तैयार रहे
निराशाओं का नाश आओ मिलकर करें
आज़ाद हवाओं में हमेशा झंडा ऊंचा हमारा रहे
अतीत की सारी बदल कर तस्वीरें
तोड़कर मन से गुलामी की जंजीरें
विचार आजादी की गौरव गाथाएं कहें
आज़ादी के इस जश्न में झंडा ऊंचा हमारा रहे…”
….मयंक विश्नोई
आजादी की खुली हवा में,
हम निकले सीना तान के,
हम बच्चे हिंदुस्तान के,
हम जिस मिट्टी के अंकुर है,
उसकी शान निराली है,
उसके खेतों में सोना,
बागों में हरियाली है,
धन दौलत से ज्यादा ऊँचे,
रिश्ते माँ संतान के,
हम बच्चे हिंदुस्तान के,
हवा हमारी धुप हमारी,
नीर हमारा पावन है,
तन मन जिसके सौ बसंत से,
मन हरियाला सावन है,
भारत माँ के बेटे बेटी,
जीते है हम शान से,
हम बच्चे हिंदुस्तान के,
सत्य अहिंसा पर आधारित,
मौलिक धर्म हमारा है,
परहित सच्चा धर्म है भाई,
यही हमारा नारा है,
पथ कोई हो विधि कोई हो,
बलिहारी भगवन के,
हम बच्चे हिंदुस्तान के,
आजादी की खुली हवा में,
हम निकले सीना तन के,
हम बच्चे हिंदुस्तान के,
हम बच्चे हिन्दुस्थान के।
नमो, नमो, नमो।
नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!
नमो नगाधिराज – शृंग की विहारिणी!
नमो अनंत सौख्य – शक्ति – शील – धारिणी!
प्रणय – प्रसारिणी, नमो अरिष्ट – वारिणी!
नमो मनुष्य की शुभेषणा – प्रचारिणी!
नवीन सूर्य की नई प्रभा, नमो, नमो!
हम न किसी का चाहते तनिक अहित, अपकार।
प्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदार।
सत्य न्याय के हेतु, फहर-फहर ओ केतु
हम विचरेंगे देश-देश के बीच मिलन का सेतु
पवित्र सौम्य, शांति की शिखा, नमो, नमो!
तार-तार में हैं गुँथा ध्वजे, तुम्हारा त्याग!
दहक रही है आज भी, तुम में बलि की आग।
सेवक सैन्य कठोर, हम चालीस करोड़
कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओर
करते तव जय गान, वीर हुए बलिदान,
अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिंदुस्तान!
प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो!
…..रामधारी सिंह ‘दिनकर’
“सारे जहाँ से अच्छा”
सारे जहाँ से अच्छा
हिंदुस्तान हमारा
हम बुलबुलें हैं उसकी
वो गुलसिताँ हमारा।
परबत वो सबसे ऊँचा
हमसाया आसमाँ का
वो संतरी हमारा
वो पासबाँ हमारा।
गोदी में खेलती हैं
जिसकी हज़ारों नदियाँ
गुलशन है जिनके दम से
रश्क-ए-जिनाँ हमारा।
मज़हब नहीं सिखाता
आपस में बैर रखना
हिंदी हैं हम वतन है
हिंदुस्तान हमारा।
….मुहम्मद इक़बाल
होठों पे सच्चाई रहती है,
जहां दिल में सफ़ाई रहती है,
हम उस देश के वासी हैं,
जिस देश में गंगा बहती है,
मेहमान जो हमारा होता है,
वो जान से प्यारा होता है,
ज्यादा की नहीं लालच हमको,
थोड़े मे गुजारा होता है,
बच्चों के लिए जो धरती माँ,
सदियों से सब कुछ सहती है,
हम उस देश के वासी हैं,
जिस देश में गंगा बहती है।
कुछ लोग जो ज़्यादा जानते हैं,
इन्सान को कम पहचानते हैं
ये पूरब है पूरब वाले,
हर जान की कीमत जानते हैं
मिलजुल के रहो और प्यार करो,
एक चीज़ यही जो रहती है,
हम उस देश के वासी हैं,
जिस देश में गंगा बहती है।
जो जिससे मिला सिखा हमने,
गैरों को भी अपनाया हमने,
मतलब के लिये अंधे होकर,
रोटी को नही पूजा हमने,
अब हम तो क्या सारी दुनिया,
सारी दुनिया से कहती है,
हम उस देश के वासी हैं,
जिस देश में गंगा बहती है।
आपसी कलह के कारण से
आपसी कलह के कारण से।
वर्षों पहले परतंत्र हुआ।।
पन्द्रह अगस्त सन् सैंतालीस।
को अपना देश स्वतंत्र हुआ।।
उन वीरों को हम नमन करें।
जिनने अपनी कुरबानी दी।।
निज प्राणों की परवाह न कर।
भारत को नई रवानी दी।।
उन माताओं को याद करें।
जिनने अपने प्रिय लाल दिए।।
मस्तक मां का ऊंचा करने।
को उनने बड़े कमाल किए।।
बिस्मिल, सुभाष, तात्या टोपे।
आजाद, भगत सिंह दीवाने।।
सिर कफन बांधकर चलते थे।
आजादी के यह परवाने।।
देश आजाद कराने को जब।
पहना केसरिया बाना।
तिलक लगा बहनें बोली।
भैया, विजयी होकर आना।।
माताएं बोल रही बेटा।
बन सिंह कूदना तुम रण में।।
साहस व शौर्य-पराक्रम से।
मार भगाना क्षणभर में।।
दुश्मन को धूल चटा करके।
वीरों ने ध्वज फहराया था।।
जांबाजी से पा विजयश्री।
भारत आजाद कराया था।।
स्वर्णिम इतिहास लिए आया।
यह गौरवशाली दिवस आज।।
श्रद्धा से नमन कर रहा है।
भारत का यह सारा समाज।।
जय हिन्द हमारे वीरों का।
सबसे सशक्त शुभ मंत्र हुआ।।
पन्द्रह अगस्त सन् सैंतालीस।
को अपना देश स्वतंत्र हुआ।
….रामकिशोर शुक्ल “विशारद”
Independence Day Poem
आपसी कलह के कारण से।
वर्षों पहले परतंत्र हुआ।।
पन्द्रह अगस्त सन् सैंतालीस।
को अपना देश स्वतंत्र हुआ।।
उन वीरों को हम नमन करें।
जिनने अपनी कुरबानी दी।।
निज प्राणों की परवाह न कर।
भारत को नई रवानी दी।।
उन माताओं को याद करें।
जिनने अपने प्रिय लाल दिए।।
मस्तक मां का ऊंचा करने।
को उनने बड़े कमाल किए।।
बिस्मिल, सुभाष, तात्या टोपे।
आजाद, भगत सिंह दीवाने।।
सिर कफन बांधकर चलते थे।
आजादी के यह परवाने।।
देश आजाद कराने को जब।
पहना केसरिया बाना।
तिलक लगा बहनें बोली।
भैया, विजयी होकर आना।।
माताएं बोल रही बेटा।
बन सिंह कूदना तुम रण में।।
साहस व शौर्य-पराक्रम से।
मार भगाना क्षणभर में।।
दुश्मन को धूल चटा करके।
वीरों ने ध्वज फहराया था।।
जांबाजी से पा विजयश्री।
भारत आजाद कराया था।।
स्वर्णिम इतिहास लिए आया।
यह गौरवशाली दिवस आज।।
श्रद्धा से नमन कर रहा है।
भारत का यह सारा समाज।।
जय हिन्द हमारे वीरों का।
सबसे सशक्त शुभ मंत्र हुआ।।
पन्द्रह अगस्त सन् सैंतालीस।
को अपना देश स्वतंत्र हुआ।
….रामकिशोर शुक्ल “विशारद”
लाल रक्त से धरा नहाई
लाल रक्त से धरा नहाई,
श्वेत नभ पर लालिमा छायी,
आजादी के नव उद्घोष पे,
सबने वीरो की गाथा गायी,
गाँधी ,नेहरु ,पटेल , सुभाष की,
ध्वनि चारो और है छायी,
भगत , राजगुरु और , सुखदेव की
क़ुरबानी से आँखे भर आई ||
ऐ भारत माता तुझसे अनोखी,
और अद्भुत माँ न हमने पाय ,
हमारे रगों में तेरे क़र्ज़ की,
एक एक बूँद समायी .
माथे पर है बांधे कफ़न ,
और तेरी रक्षा की कसम है खायी,
सरहद पे खड़े रहकर,
आजादी की रीत निभाई…
पन्द्रह अगस्त देश की शान है

पन्द्रह अगस्त देश की शान है
यह मेरे देश का अभिमान है
गर्व होता है इस दिन पर मुझे
यही मेरी आन यही मेरा पहचान है
देश की आजादी के लिए
शहीदों ने प्राण गवाएं
उन शहीदों की शहादत का
पन्द्रह अगस्त सम्मान है
न भूलना कभी इस दिन को
यह देश की पहचान है
स्वतन्त्रता दिवस के नाम से
प्रसिद्ध देश की शान है
….सुरेन्द्र महरा
मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन
मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन
शांति का उन्नति का प्यार का चमन
मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन
शांति का उन्नति का प्यार का चमन
इसके वास्ते निसार है मेरा तन मेरा मन
ए वतन, ए वतन, ए वतन
जानेमन, जानेमन, जानेमन
ए वतन, ए वतन, ए वतन
जानेमन, जानेमन, जानेमन
मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन
शांति का उन्नति का प्यार का चमन
आ.. हा.. आहा.. आ..
इसकी मिट्टी से बने तेरे मेरे ये बदन
इसकी धरती तेरे मेरे वास्ते गगन
इसने ही सिखाया हमको जीने का चलन
जीने का चलन..
इसके वास्ते निसार है मेरा तन मेरा मन
ए वतन, ए वतन, ए वतन
जानेमन, जानेमन, जानेमन
मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन
शांति का उन्नति का प्यार का चमन
अपने इस चमन को स्वर्ग हम बनायेंगे
कोना-कोना अपने देश का सजायेंगे
जश्न होगा ज़िन्दगी का, होंगे सब मगन
होंगे सब मगन..
इसके वास्ते निसार है मेरा तन मेरा मन
ए वतन, ए वतन, ए वतन
जानेमन, जानेमन, जानेमन
मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन
शांति का उन्नति का प्यार का चमन
मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन
शांति का उन्नति का प्यार का चमन
इसके वास्ते निसार है मेरा तन मेरा मन
ए वतन, ए वतन, ए वतन
जानेमन, जानेमन, जानेमन
ए वतन, ए वतन, ए वतन
जानेमन, जानेमन, जानेमन..
आया पंद्रह अगस्त”
आया पंद्रह अगस्त स्कूल को सब बच्चे गए
हिस्सा बनना है इस पर्व का
उन्होंने पहनकर कपड़े नए
बोले, मां मुझे दिला दो अब तिरंगे नए।।
स्कूल के मंच से देगा भाषण कोई
झांसी, हज़रत, टेरेसा बनेगा कोई
कोई कविता करेगा कोई नृत्य भी
देशभक्ति की बातें करेगा कोई
इक तिरंगे के नीचे सभी झूमेंगे
गीत गाऊंगा जब मैं वतन के लिए
मुझको भी हिस्सा बनना है इस पर्व का
मां मुझे बस दिला दो तिरंगे नए
गांधी नेहरू भगत सिंह है बनना मुझे
वीर अब्दुल हमीद भी है बनना मुझे
जान अपनी जो हंसते हुए दे गए
उन शहीदों के जैसे है मरना मुझे
जान मेरी महज़ एक काफ़ी नहीं
हर जनम हो मेरा इस वतन के लिए
मुझको भी हिस्सा बनना है इस पर्व का
मां मुझे बस दिला दो तिरंगे नए
“भारत: सोने की चिड़िया”
क्या पढ़ते हो किताबों में
आओ मैं तुम्हे बताती हूँ,
15 अगस्त की असली परिभाषा
आज अच्छे से समझाती हूँ।
एक दौर था जब भारत को,
सोने की चिड़िया कहते थे।
कैद कर लिया इस चिड़िये को,
वो शिकारी अंग्रेज कहलाते थे।
कुतर-कुतर कर सारे पंख,
अधमरा कर छोड़ा था।
सांसें चल रही थी बस,
ताकत से अब रिश्ता पुराना था।
कहते हैं कि हिम्मत से बढ़ कर,
दुनिया में और कुछ नहीं होता।
कतरा-कतरा समेट कर,
फिर उठ खड़ी हुई वो चिड़िया।
बिखर गए थे सारे पंख,
तो बिन पंखो के उड़ना सीख लिया।
परिस्थिति चाहे जैसी भी थी दोस्तों,
उसने लड़ना सीख लिया।
लड़ती रही अंतिम सांस तक,
और सफलता उसके हाथ लगी।
आज़ादी की थी चाह मन में,
और वो आज़ादी के घर लौट गयी।
आज उस चिड़िया को हम,
गर्व से भारत बुलाते हैं।
और सीना गद-गद हो जाता,
जब हम भारतीय कहलाते हैं।
आज़ादी का यह पर्व दोस्तों,
आओ मिल कर मनाते हैं,
चाहे रहें हम अमेरिका या लंदन
भारत को आगे बढ़ाते हैं,
भारत के गुण गाते हैं और 15 अगस्त मनाते हैं।
“आजादी की कहानी”
दुनिया में कुछ भी
मुश्किल नहीं होता,
मन में विश्वास होना चाहिए,
बदलाव लाने के लिए,
मन मिटने का भाव होना चाहिए।
बात उस दौर की है
जब भारत एक गुलाम था,
हम पर हुकूमत था करता,
वो ब्रितानी ताज था।
जुल्म का स्तर कुछ
इस प्रकार था की भरी
दोपहर में अंधकार था,
हर पल मन एक ही ख्याल सताता,
कि अब अगला कौन शिकार था।
किन्तु फिर भी मन में विश्वास था,
क्योंकि कलम का ताकत पास था,
जो मौखिक शब्द न कर पाते,
ऐसे में ये एक शांत हथियार था।
आक्रोश की ज्वाला धधक रही थी,
आंदोलन बन के वो दमक रही थी,
स्वतंत्रता की बात क्या उठी,
चिंगारी शोले बन चमक रही थी।
लिख-लिख कर हमने भी गाथा,
दिलो में शोलों को भड़काया था,
सत्य अहिंसा को हथियार बनाकर,
अंग्रेजों को बाहर का मार्ग दिखाया था।
आसान नहीं था ये सब कर पाना,
इतने बड़े स्वप्न को साकार कर पाना,
श्रेय तो जाता उन योद्धाओं को,
जिन्होने रातों को भी दिन था माना।
बहुत मिन्नतों बाद दिखा हमें,
आजादी का ये सवेरा था,
आओ मिलकर इसे मनाये,
फहरा के आज तिरंगा अपना।
….कनक मिश्रा
School Independence Day Poem
स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है,
विजयी-विश्व का गान अमर है।
देश-हित सबसे पहले है,
बाकि सबका राग अलग है।
स्वतंत्रता दिवस का…………..।
आजादी के पावन अवसर पर,
लाल किले पर तिरंगा फहराना है।
श्रद्धांजलि अर्पण कर अमर ज्योति पर,
देश के शहीदों को नमन करना है।
देश के उज्ज्वल भविष्य की खातिर,
अब बस आगे बढ़ना है।
पूरे विश्व में भारत की शक्ति का,
नया परचम फहराना है।
अपने स्वार्थ को पीछे छोड़ककर,
राष्ट्रहित के लिए लड़ना है।
बात करे जो भेदभाव की,
उसको सबक सिखाना है।
स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है,
विजयी विश्व का गान अमर है।
देश हित सबसे पहले है,
बाकी सबका राग अलग है।।
………….जय हिन्द जय भारत।
आज तिरंगा लहराता है
आज तिरंगा लहराता है अपनी पूरी शान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
आज़ादी के लिए हमारी लंबी चली लड़ाई थी।
लाखों लोगों ने प्राणों से कीमत बड़ी चुकाई थी।।
व्यापारी बनकर आए और छल से हम पर राज किया।
हमको आपस में लड़वाने की नीति अपनाई थी।।
हमने अपना गौरव पाया, अपने स्वाभिमान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
गांधी, तिलक, सुभाष, जवाहर का प्यारा यह देश है।
जियो और जीने दो का सबको देता संदेश है।।
प्रहरी बनकर खड़ा हिमालय जिसके उत्तर द्वार पर।
हिंद महासागर दक्षिण में इसके लिए विशेष है।।
लगी गूँजने दसों दिशाएँ वीरों के यशगान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
हमें हमारी मातृभूमि से इतना मिला दुलार है।
उसके आँचल की छैयाँ से छोटा ये संसार है।।
हम न कभी हिंसा के आगे अपना शीश झुकाएँगे।
सच पूछो तो पूरा विश्व हमारा ही परिवार है।।
विश्वशांति की चली हवाएँ अपने हिंदुस्तान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
आह्वान
कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे,
आज़ाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे।
हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से,
तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे।
बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरख़े का,
चरख़े से ज़मीं को हम, ता चर्ख़ गुंजा देंगे।
परवा नहीं कुछ दम की, ग़म की नहीं, मातम की,
है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे।
उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज़ न निकालेंगे,
तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे।
सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका,
चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे।
दिलवाओ हमें फांसी, ऐलान से कहते हैं,
ख़ूं से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे।
मुसाफ़िर जो अंडमान के, तूने बनाए, ज़ालिम,
आज़ाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे।
….अशफाकउल्ला खां
जब भारत आज़ाद हुआ था
जब भारत आज़ाद हुआ था
आजादी का राज हुआ था।
वीरों ने क़ुरबानी दी थी
तब भारत आज़ाद हुआ था।
भगत सिंह ने फांसी ली थी
इंदिरा का जनाज़ा उठा था।
इस मिटटी की खुशबू ऐसी थी
तब खून की आँधी बहती थी।
वतन का ज़ज्बा ऐसा था
जो सबसे लड़ता जा रहा था।
लड़ते लड़ते जाने गयी थी
तब भारत आज़ाद हुआ था।।
फिरंगियों ने ये वतन छोड़ा था
इस देश के रिश्तों को तोडा था।
फिर भारत दो भागो में बाटा था
एक हिस्सा हिन्दुस्तान था।
दूसरा पाकिस्तान कहलाया था
सरहद नाम की रेखा खींची थी।
जिसे कोई पार ना कर पाया था
ना जाने कितनी माये रोइ थी,
ना जाने कितने बच्चे भूके सोए थे,
हम सब ने साथ रहकर
एक ऐसा समय भी काटा था।
विरो ने क़ुरबानी दी थी
तब भारत आज़ाद हुआ था।
अपनी जान से भी प्यारी
अपनी जान से भी प्यारी है,
हमको अपनी आज़ादी।
इसको पाने के खातिर है हमने,
अपनी जान लुटा दी।
हम भारत के हैं वासी,
इसकी है शान निराली।
शान न इसकी जाने पाए,
करते है हम इसकी रखवाली।
वीर पुरुष थे भारत के,
खेलें थे अपनी जान पर।
देकर आज़ादी इसको,
कर दी थी जान न्योछावर।
हम भी है संताने उनकी,
थे वीर वो जितने महान।
जीवन अर्पण कर देंगे अपना,
देकर अपना बलिदान।
आज़ादी के संरक्षक हम,
इसका का मान बढ़ाएंगे।
इसकी रक्षा के खातिर,
मर जायेंगे, मिट जाएँगे।
देश के वीर पुरुष
चलो सुनाऊ आज तुम्हें,
ऐसी एक कहानी।
जिसमें थे वे वीर पुरुष,
और थे महान बलिदानी।
करके अपनी जान न्योछावर,
दे दी अपनी कुर्बानी।
भारत माँ की रक्षा के खातिर,
कुर्बान कर दी अपनी जवानी।
गाँधी, सुभाष और चंद्रशेखर,
थे महान अभिमानी।
झुके नहीं शीश उनके,
उनकी थी गजब रवानी।
लक्ष्मीबाई थी वीरांगना,
वो खूब लड़ी मर्दानी।
मिट गई देश की रक्षा के खातिर,
थी वो अज़ब मस्तानी।
थे महान वो वीर पुरूष,
उनके पितृ और जनिनी।
स्वर्ण-अक्षरों में नाम लिखा जो,
इस धरती को कर गए पावनी।
गाथाएँ महान थी उनकी,
है दुनिया दीवानी।
न मिटी थी, न मिटी है,
न मिटेंगी उनकी ये अमर कहानी
“ऐ मेरे प्यारे वतन”
ऐ मेरे प्यारे वतन,
ऐ मेरे बिछड़े चमन
तुझ पे दिल कुरबान
तू ही मेरी आरजू़,
तू ही मेरी आबरू
तू ही मेरी जान
तेरे दामन से जो आए
उन हवाओं को सलाम
चूम लूँ मैं उस जुबाँ को
जिसपे आए तेरा नाम
सबसे प्यारी सुबह तेरी
सबसे रंगी तेरी शाम
तुझ पे दिल कुरबान
माँ का दिल बनके कभी
सीने से लग जाता है तू
और कभी नन्हीं-सी बेटी
बन के याद आता है तू
जितना याद आता है मुझको
उतना तड़पाता है तू
तुझ पे दिल कुरबान
छोड़ कर तेरी ज़मीं को
दूर आ पहुँचे हैं हम
फिर भी है ये ही तमन्ना
तेरे ज़र्रों की कसम
हम जहाँ पैदा हुए उस
जगह पे ही निकले दम
तुझ पे दिल कुरबान
….प्रेम धवन
धन्य सुभग स्वर्णिम दिन तुमको
धन्य तुम्हारी शुभ घड़ियां
जिनमें पराधीन भारत मां
की खुल पाईं हथकड़ियां
भौतिक बल के दृढ़-विश्वासी
झुके आत्मबल के आगे
सत्य-अहिंसा के सम्बल से
भाग्य हमारे फिर जागे
उस बूढ़े तापस के तप का
जग में प्रकट प्रभाव हुआ
फिर स्वतन्त्रता देवी का
इस भू पर प्रादुर्भाव हुआ
नव सुषमा-युत कमला ने
सब स्वागत का सामान किया
कवि के मुख से स्वयं शारदा
ने था मंगल-गान किया
जय-जय की ध्वनि से गुंजित
नभ-मंडल भी था डोल उठा
नव जीवन पाकर भूतल का
कण-कण भी था बोल उठा
श्रद्धा से शत-शत प्रणाम
उन देश प्रेम-दीवानों को
अमर शहीद हुए जो कर
न्यौछावर अपने प्राणों को
कितने ही नवयुवक स्वत्व
समरांगण में खुलकर खेले
अत्याचारी उस डायर के
वार छातियों पर झेले
कितनों ने कारागृह में ही
जीवन का अवसान किया
अपने पावनतम सुध्येय पर
सुख से सब कुछ वार दिया
कितनों ने हंस कर फांसी को
चूमा, मुख से आह न की
सन्मुख अपने निश्चित पथ के
प्राणों की परवाह न की
अगणित मां के लाल हुए
बलिदान देश बलिवेदी पर
तब भारत माँ ने पाया
ये दिवस आज का अति सुखकर
पन्द्रह अगस्त का यह शुभ दिन
कभी न भूला जायेगा
स्वर्णाक्षर में अंकित होगा
उच्च अमर पद पायेगा
….महावीर प्रसाद ‘मधुप’
देश है हमको जान से प्यारा
देश है हमको जान से प्यारा,
इस पर अपनी जान निसार।
यह देश है हम सब का गौरव,
इससे है हमारी आन, बान और शान।
कई वीर जवानों ने मिलकर,
कुर्बान की जानें अपनी।
आजाद भारत का स्वप्न लिए,
हर चुनौती को पार किया।
इस देश को कभी झुकने न दिया,
इस देश के गौरव को मिटने न दिया।
हम हैं कल के भारत की नींव,
हम भी चलेंगे लेकर यह रीत।
जब-जब देश पर आएगी आंच,
देश के रक्षक बनेंगे हम भी।
चाहे लगानी पड़े जान की बाजी,
हम देश नहीं झुकने देंगे।
देश है हमको जान से प्यारा,
इस पर अपनी जान निसार।
वो देश हमारा हिंदुस्तान
हो दुनिया को जिस देश पर गर्व,
वो देश हमारा हिंदुस्तान।
यह देश है गंगा-युमना की बहती धारा का,
कंचनजंगा सी ऊंचाई का,
यह देश है अनेक संस्कृतियों वाला,
इस देश से है हमारा सम्मान।
हो दुनिया को जिस देश पर गर्व,
वो देश हमारा हिंदुस्तान।
झीलों की नगरी उदयपुर,
जैसलमेर का रेगिस्तान,
हवा महल की कारीगरी,
सब बसी हुई है राजस्थान।
हो दुनिया को जिस देश पर गर्व,
वो देश हमारा हिंदुस्तान।
ताजमहल की नक्कासी हो,
या पेठा आगरा वाला हो,
यह प्रदेश है हुनर की जीती मिसाल,
यह उत्तर प्रदेश बहुत निराला है।
हो दुनिया को जिस देश पर गर्व,
वो देश हमारा हिंदुस्तान।
मक्के दी रोटी, सरसों दा साग,
गिद्दा, भांगड़ा और खिलती मुस्कान,
स्वर्ण मदिर, मोती बाघ, शीश महल, तो रंग महल,
है भगत सिंह शहीद का पंजाब वो जन्म स्थान।
हो दुनिया को जिस देश पर गर्व,
वो देश हमारा हिंदुस्तान।
हरिद्वार की गंगा आरती हो,
नैनीताल का वो नौका विहार,
जहां कण कण में अनुभव हो प्रभु का,
वो उत्तराखंड स्थल है, बद्रीनाथ का।
हो दुनिया को जिस देश पर गर्व,
वो देश हमारा हिंदुस्तान।
समुंदर से घिरा हुआ यह प्रदेश है सपनों वाला,
छत्रपति शिवाजी के शौर्य से ये पहचाने जाने वाला,
मराठी भाषा की मिठास,
मिलती है महाराष्ट्र में।
हो दुनिया को जिस देश पर गर्व,
वो देश हमारा हिंदुस्तान।
भारत की राजधानी दिल्ली में,
हैं भिन्न-भिन्न के लोग,
लाल किला शान इसकी,
इतिहास बड़ा अलोक।
हो दुनिया को जिस देश पर गर्व,
वो देश हमारा हिंदुस्तान।
जम्मू कश्मीर है जन्नत की झलक,
है खूब यहां बर्फबारी,
गुलमर्ग का वो हसीन नजारा,
चाहे हो शिकारा की सवारी।
हो दुनिया को जिस देश पर गर्व,
वो देश हमारा हिंदुस्तान।
यह देश है सैनिक जवानों का,
यह देश नौजवानों का,
इसका इतिहास करता है,
इसकी अमर गाथा का बखान।
हो दुनिया को जिस देश पर गर्व,
वो देश हमारा हिंदुस्तान।
हम तिरंगा लिए भविष्य सजाते रहेंगे

वतन से मोहब्बत हमेशा जिन्दा रहेगी।
हम तिरंगा लिए भविष्य सजाते रहेंगे।।
आजादी के गीत गाते रहेंगे,
शहीदों की गाथा सुनाते रहेंगे।
चाँद तारों सा रोशन मुल्क रहेगा हमारा,
फूलों से सजा मुल्क रहेगा हमारा।
हम अमन का संदेश फैलाते रहेंगे,
सभी को गले से लगाते रहेंगे।
यह जश्न है आजादी का,
सभी मिल कर गाओं।
वतन से मोहब्बत हमेशा जिन्दा रहेगी।
हम तिरंगा लिए भविष्य सजाते रहेंगे।।
गौरव से भरा है इतिहास हमारा,
यह धरोहर मिली है, विरासत में हमको।
हम कल के भारत की मिसाल बनेंगे,
देश की उन्नति का ख्याल बनेंगे।
भारत माँ को अपने वीर सपूतों पर अभिमान रहेगा,
देशवासी होने का हमको यह मान रहेगा।
रहा वादा खुद से रहे जब तक जिन्दा,
यह रीत हम आखिरी दम तक निभाते रहेंगे।
वतन से मोहब्बत हमेशा जिन्दा रहेगी।
हम तिरंगा लिए भविष्य सजाते रहेंगे।।
आजादी
इलाही ख़ैर! वो हरदम
नई बेदाद करते हैं,
हमें तोहमत लगाते हैं,
जो हम फ़रियाद करते हैं
कभी आज़ाद करते हैं,
कभी बेदाद करते हैं
मगर इस पर भी हम सौ
जी से उनको याद करते हैं
असीराने-क़फ़स से काश,
यह सैयाद कह देता
रहो आज़ाद होकर,
हम तुम्हें आज़ाद करते हैं
रहा करता है अहले-ग़म को
क्या-क्या इंतज़ार इसका
कि देखें वो दिले-नाशाद
को कब शाद करते हैं
यह कह-कहकर बसर की,
उम्र हमने कै़दे-उल्फ़त में
वो अब आज़ाद करते हैं,
वो अब आज़ाद करते हैं
सितम ऐसा नहीं देखा,
जफ़ा ऐसी नहीं देखी,
वो चुप रहने को कहते हैं,
जो हम फ़रियाद करते हैं
यह बात अच्छी नहीं होती,
यह बात अच्छी नहीं करते
हमें बेकस समझकर
आप क्यों बरबाद करते हैं?
कोई बिस्मिल बनाता है,
जो मक़तल में हमें ‘बिस्मिल’
तो हम डरकर दबी
आवाज़ से फ़रियाद करते हैं
….राम प्रसाद बिस्मिल
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