Through this poem, we give a message to the children that Hindi language is very important for them and they should understand and learn it. Apart from this, through this poem, we also teach children about the ideals that a good boy or girl should have. Hindi Poem for Class 5 this poem tells them about good behavior, manners, understanding and healthy state of mind both in their school and at home. In short, this poem enables children to move forward in their lives with a full cultural experience.

Hindi Poem for Class 5
Today we have brought before you a very beautiful Hindi poem, which has been made for children. This poem teaches children about values, ethics and good manners. Hindi Poem for Class 5 this poem is a part of our culture and heritage which we should always cherish. so let’s start the poem
Hindi Poem for Class 5 for Kids
1. चिड़ियाघर की सैर
रंग-बिरंगे फूलों वाला,
यह देखो उद्यान है।
उधर पेड़ पर मजे उड़ाता,
यह बन्दर शैतान है।।
फैले बूटे और लताएँ,
झूल रही हैं बेल।
आओ बच्चों आज करें हम,
चिड़ियाघर की सैर।।
देखो झुंड-झुंड में,
हिरनों की मतवाली चाल।
ऊंची गर्दन वाला जिराफ़
वनभैंसे का सींग कमाल।।
कितने पक्षी कल-रव करते,
कल कल का गीत सुनाते हैं।
और ताल में मछली मेंढ़क,
मगरमच्छ इठलाते हैं।।
खुशी मनाना मजे उड़ाना,
रखना सबसे मेल।
आओ बच्चो आज करे हम,
हम चिड़ियाघर की सैर।।
नाव चढ़ेंगे झूला झूलें,
और चढ़ें मीनार में।
चिप्स, कुरकुरे और समोसे,
ले लेंगे बाजार में।
ध्यान रहे सब कचरा फेंके,
हँसते कूड़ेदान में।
और बजेगी सिटी लम्बी,
दौड़ेगी बच्चों की रेल।
आओ बच्चो करें आज,
हम चिड़ियाघर की सैर।
….द्रोणकुमार सार्वा
2. हाथी आया झूम के

हाथी आया हाथी आया
सूंड हिलाता हाथी आया
चलता फिरता हाथी आया
झूम झूम कर हाथी आया…
कान हिलाता हाथी आया
पूँछ घुमाता हाथी आया
केले खाता हाथी आया
झूम झूम कर हाथी आया…
हाथी आया हाथी आया
पानी उड़ाता हाथी आया
करतब दिखता हाथी आया
झूम झूम कर हाथी आया…
हाथी आया…हाथी आया
सबसे खेलने हाथी आया
सबका दिल बहलाने आया
झूम झूम कर हाथी आया…!
3. काश ज़िंदगी एक किताब होती
काश,जिंदगी सचमुच किताब होती
पढ़ सकता मैं कि आगे क्या होगा?
क्या पाऊँगा मैं और क्या दिल खोयेगा?
कब थोड़ी खुशी मिलेगी, कब दिल रोयेगा?
काश जिदंगी सचमुच किताब होती,
फाड़ सकता मैं उन लम्हों को
जिन्होने मुझे रुलाया है..
जोड़ता कुछ पन्ने जिनकी यादों ने मुझे हँसाया है…
खोया और कितना पाया है?
हिसाब तो लगा पाता कितना
काश जिदंगी सचमुच किताब होती,
वक्त से आँखें चुराकर पीछे चला जाता..
टूटे सपनों को फिर से अरमानों से सजाता
कुछ पल के लिये मैं भी मुस्कुराता,
काश, जिदंगी सचमुच किताब होती।
Hindi Poem for Class 5 Students
4. रिंकू चूहा
कहीं एक बिल में रहता था,
रिंकू चूहा, चिंकू चूहा।
दुनिया देखू–सोचा दिल से,
निकल पड़ा वह अपने बिल से।
बाहर दुनिया बड़ी अनोखी,
अब अपनी आंखों से देखी।
एक जीव था बड़ा कमाल,
लंबी पूँछ, मुलायम बाल।
पीछे से उसकी माँ बोली,
मत कर उससे हँसी-ठिठोली।
उसके पास कभी मत जाना,
हम हैं उसका बढ़िया खाना।
यह सुंदर है देवी जैसी,
पर है बिल्ली शेर की मौसी।
….द्रोण साहू
5. रेल का खेल
आओ आओ खेले खेल|
छू छूककर बन जाएं रेल ||
तू तो इंजन बन जा कालू |
गार्ड बनेगा लल्ला बालू ||
चाहे जीतनी भी हो दुरी |
टिकट खरीदो बहुत जरुरी ||
वरना टी -टी देगा ठेल |
छुक -छुक कर बन जाए रेल ||
पीछे डिब्बे आगे इंजन |
जिनमे है, महमूद, निरंजन ||
जोर्ज,पदमजी,कीटटी ,लीला |
रेखा, सिमरनकौर, जमीला ||
भीड़ भड़क्का धक्कमपेल |
छुक-छुक कर बन जाए रेल ||
कार मोटरे पीछे छोड़े |
पकड़ न पाए हाथी घोड़े ||
पटरी-पटरी दौड़ी आती |
रोज मुसाफिर भरकर लाती ||
अपनों से करवाती मेल |
आओ-आओ खेले खेल ||
पटरी पर तेजी से दौड़े |
बड़े-बड़े नगरो को जोड़े ||
और ऊंट के पड़ी नकेल |
छुक छुक कर बन जाए रेल ||
सिग्नल का यह आदर पाती |
टिकट जहा का हो, पहुचाती ||
छुक-छुक्कर बन जाए रेल |
आओ आओ खेले खेल ||
6. ज़िन्दगी जीना सीखा रही थी
एक दिन सपना नींद से टूटा
खुशी का दरवाजा फिर से रूठा
मुड़ कर देखा तो वक्त खड़ा था
जिंदगी और मौत के बीच पड़ा था
दो पल ठहर के मेरे पास वह आया
पूछा मिली थी जो खुशी उसे क्यों ठुकराया
ऐसे में जब मैं हल्का सा मुस्कुराया
नजरें उठाई और तब सवाल ठुकराया
जवाब सुनकर वह भी रोने लगा
कहीं ना कहीं मेरे दर्द में खोने लगा
मेरे भाई हसा नहीं कभी खुद के लिए
जिया हो जिंदगी पर ना कभी अपने लिए
इस खुशी का एक ही इंसान मोहताज था
मेरी जान मेरी धड़कनों का वो ताज था..
आखिर खत्म हो गया एक किस्सा मेरी जिंदगानी का
पर नाज रहेगा हमेशा अपनी कहानी पर।
Hindi Poem for Class 5 for Competition
7. होली यह मिट्टी की चतुराई है,

रूप अलग औ’ रंग अलग,
भाव, विचार, तरंग अलग हैं,
ढाल अलग है ढंग अलग,
आजादी है जिसको चाहो आज उसे वर लो।
होली है तो आज अपरिचित से परिचय कर को!
निकट हुए तो बनो निकटतर
और निकटतम भी जाओ,
रूढ़ि-रीति के और नीति के
शासन से मत घबराओ,
आज नहीं बरजेगा कोई, मनचाही कर लो।
होली है तो आज मित्र को पलकों में धर लो!
प्रेम चिरंतन मूल जगत का,
वैर-घृणा भूलें क्षण की,
भूल-चूक लेनी-देनी में
सदा सफलता जीवन की,
जो हो गया बिराना उसको फिर अपना कर लो।
होली है तो आज शत्रु को बाहों में भर लो!
होली है तो आज अपरिचित से परिचय कर लो,
होली है तो आज मित्र को पलकों में धर लो,
भूल शूल से भरे वर्ष के वैर-विरोधों को,
होली है तो आज शत्रु को बाहों में भर लो!
….हरिवंश राय बच्चन
8. अबलक घोड़ी
अबलक घोड़ी लाल लगाम |
तीन लाख हैं इसके दाम ||
आभूषण भी कई कमाल |
छमछम नाचे सरपट चाल ||
जैसे हुआ ठंड का अंत |
आया झटपट यहाँ बंसत ||
उसके ऊपर एक सवार |
बैठे हर क्षण एनक धार ||
और फटाफट चढ़ा किशोर |
साथ घुमने चारों ओर ||
त्रषभ श्रवण हैं, ज्ञानी मित्र |
यहाँ-वहा के लेते चित्र ||
9. चार चने
पैसे पास होते तो चार चने लाते
चार में से एक चना तोते को खिलाते
तोते को खिलाते तो टाय टाय गाता
टाय टाय गाता तो बड़ा मजा आता
पैसे पास होते तो चार चने लाते
चार में से एक चना घोड़े को खिलाते
घोड़े को खिलाते तो पीठ पर बिठाता
पीठ पर बिठाता तो बड़ा मजा आता
पैसा पास होता तो चार चने लाते
चार में से एक चना चूहे को खिलाते
चूहे को खिलाते तो दांत टूट जाता
दांत टूट जाता तो बड़ा मजा आता
Poem on Nature in Hindi
10. समय
समय बड़ी अनमोल चीज है।
जिसने इसको पहचाना,
वह ही अंकित है कर पाया
जीवन का ताना-बाना।
समय एक सा सबके हित में
ठहर-ठहर चलता रहता,
जी भर तुम उपयोग करो
है नित्य-नित्य कहता रहता।
सम्मान समय का सीख गया जो
मान स्वयं मिलता उसको,
वही श्रेष्ठ, जो कुछ कर पाया
नहीं, पूछता जग किसको?
उसी समय में एक श्रेष्ठ बन
युग को राह दिखा जाता,
किंतु उसी में एक मलिन कर
जग को, कर धुंधला जाता।
समय, बंधु सच, गंगाजल है
या समीर सौरभ वाली,
जिसने चखी, उसी ने जानी
महिमा बस गौरवशाली।
समय लहर, नदिया की चंचल
गई, हाथ से छूट गई,
किंतु सहेजा जिसने इसको
फल दे, बन मां, रही-सही।
अगर तुमको इतिहास बनाना
बंधु! समय का मान करो,
अपने यश से भारत माँ का
जग में नव उत्थान करो।
….डॉ. दिनेश चमोला
11. आलू कचालू बेटा कहाँ गए थे
आलू कचालू बेटा कहाँ गए थे,
बैंगन की टोकरी में सो रहे थे,
बैंगन ने लात मारी रो रहे थे,
मम्मी ने प्यार किया हंस रहे थे,
पापा ने पैसे दिए नाच रहे थे,
भैया ने लड्डू दिए खा रहे थे।
आलू कचालू बेटा कहाँ गए थे,
गाजर की टोकरी में सो रहे थे
गाजर ने लात मारी रो रहे थे
मम्मी ने प्यार किया हंस रहे थे,
पापा ने पैसे दिए नाच रहे थे,
भैया ने लड्डू दिए खा रहे थे।
आलू कचालू बेटा कहाँ गए थे,
गोभी की टोकरी में सो रहे थे
गोभी ने लात मारी रो रहे थे
मम्मी ने प्यार किया हंस रहे थे,
पापा ने पैसे दिए नाच रहे थे,
भैया ने लड्डू दिए खा रहे थे।
आलू कचालू बेटा कहाँ गए थे,
टमाटर की टोकरी में सो रहे थे
टमाटर ने लात मारी रो रहे थे,
मम्मी ने प्यार किया हंस रहे थे,
पापा ने पैसे दिए नाच रहे थे,
भैया ने लड्डू दिए खा रहे थे।
12. छोटे से बड़े
एक दिन बोली मुझसे डे नानी,
मै कहती तुम सुनों कहानी |
एक खेत बिनु जुता पड़ा था,
उबड़ खाबड़ बहुत बड़ा था ||
कोई चिड़िया बिज उठाकर,
उड़ती उड़ती गई डालकर |
हवा डराती, धुप जलाती,
मिटटी उसको खूब दबाती ||
मिटटी की गोदी में रहकर,
सूरज की किरणों में जलकर |
कहा बीज ने हाय अकेला,
पर न डरूंगा भले अकेला ||
कुछ दिन बीते, अंकुर फूटे,
कोमल-कोमल पत्ते फूटे,
बीज बन गया पौधा प्यारा,
हरा-भरा लहराता, प्यारा ||
पौधे से बढ़, पेड़ कहाया,
दूर-दूर तक फैली छाया |
बस, जितने भी बने बड़े हैं,
छोटे से बढ़, बड़े बने हैं ||
Hindi Poems for Class 5 pdf
13. मुन्नी चली स्कूल
गमी की छुट्टी खत्म सोचकर,
मुन्नी हुई उदास।
आंसू आने लगे आंख में,
फूले-फूले से थे गाल।
उसे देखकर मम्मी बोली,
मामा की है याद सताती,
या फिर रसगुल्ले के थाल?
मुन्नी रोते रोते बोली।
पढ़ा लिखा सब भूल गई
नहीं जाऊंगी मां, स्कूल।
मम्मी उससे हंसकर बोलीं,
स्कूल अगर तुम जाओगी,
पढ़-लिखकर के नाम करोगी,
दुनिया पर तुम छाओगी।
सोच समझकर मुन्नी बोली,
हो गई मुझसे भारी भूल,
अब मुझसे ना कहना कुछ भी,
यह देखो मैं, चली स्कूल।
….प्रकाश कुमार बंजारे
14. साफ़ हाथ में हैं दम
सबसे पहले होता हैं हाथ गीला,
फिर हाथ पे नाचे साबुन रंगीला |
हाथ से होता हैं फिर हाथ का साथ
फिर घूम के आगे पीछे साबुन से खेले हाथ |
खेलों अब उंगलियों में घुसकर,
फिर चलाओ हथेलियों पर नाख़ून का चक्कर |
हाथ करे फिर पानी में छम-छम,
क्युकि, साफ़ हाथ में ही हैं दम |
खाने से पहले और शौच के बाद,
हम सब धोए साबुन से हाथ |
15. चिडकली

फुर्र फुर्र करती एक चिडकली
म्हारी चाल मांय आई
घपो जतन सु चुच मायने
दाब तिनकला लाई
ओलातर सी रख्या तिनकला
आलो एक बण्यो
घने छाव सु
घास-पूस सू
आले ने सजायो
बनियों आलो छिड़ी बनी माँ
अंडा लाई तीन
कई दिन सैया अंडा ने
आँख न लीनी नीद
फूट्या अंडा बचिया
निकलया
जद चिड़ि हरकाई
चि चि करता बछिया ने
ल्या ल्या चुण चुगाई
निकली पाख्या बचिया रे
तद उड्नो चिड़ि सिखाई
साल सु बारे री दुनिया री
उंच नीच समझाई
कर हुसियार उड़ाया बा नै
ऊँचा आभा माई
फुदक फुदककर फुर्र फुर्र करता
रुंखा माथै जीवण गीत सुनाई |
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