हमने आपके लिए बहुत सारी कविताएं लिखी हैं, जो हमें प्रेरित करेंगी, यह कविता भी अवसरवादी है, आप लोगों के लिए उत्साहवर्धक है, इन सभी कविताओं और Durga Poem in Hindi में आपको अच्छी शिक्षा मिलेगी, हमने ये सभी कविताएं मनोरंजन के लिए लिखी हैं आप।

पौराणिक कथा के अनुसार, दुर्गा को ब्रह्मा, विष्णु, शिव और छोटे देवताओं द्वारा भैंस राक्षस महिषासुर के वध के लिए बनाया गया था, जो अन्यथा उस पर काबू पाने में शक्तिहीन थे। उनकी सामूहिक ऊर्जा (शक्ति) का प्रतीक, वह पुरुष देवताओं से व्युत्पन्न और उनकी आंतरिक शक्ति का सच्चा स्रोत है। वह उनमें से किसी से भी महान है। पूरी तरह से विकसित और सुंदर पैदा हुई, दुर्गा अपने दुश्मनों के लिए एक भयंकर खतरनाक रूप प्रस्तुत करती है। उसे आम तौर पर शेर पर सवार और 8 या 10 भुजाओं के साथ चित्रित किया जाता है, जिनमें से प्रत्येक में देवताओं में से एक के विशेष हथियार होते हैं, जिन्होंने उन्हें भैंस दानव के खिलाफ लड़ाई के लिए उन्हें दिया था। उनके सम्मान में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली दुर्गा पूजा पूर्वोत्तर भारत के महान त्योहारों में से एक है।
Durga poem in hindi
तुमको दुर्गा बनना होगा
बस मोंम नहीं तुम ज्वाला भी ये सिद्ध आज करना होगा,
हे भारत माँ की ललनाओ तुमको दुर्गा बनना होगा ।
इतिहास गवाही देता है पापी समाज उन्मत्त हुआ,
तुम काली बन अवतरित हुई दुनिया को संकट मुक्त किया,
अब तुम संकट में घिरी हुई खुद ही सब कुछ करना होगा,
हे भारत माँ की ललनाओ तुमको दुर्गा बनना होगा ।
तुमसे जन्मा संसार सकल तुमपे आधारित प्राण सकल,
तुममे ममता की मूर्ति एक तुम आशा की विस्तार सकल,
पर रक्तबीज के अंत हेतु तुमको खप्पर धरना होगा,
हे भारत माँ की ललनाओ तुमको दुर्गा बनना होगा ।
तुम चंडी हो विकराला हो तुम एक धधकती ज्वाला हो,
तुम हो चेन्नम्मा की कटार लक्ष्मीबाई की भाला हो,
उठ जाग खड़ी क्या सोच रही सबकुछ समतल करना होगा,
हे भारत माँ की ललनाओ तुमको दुर्गा बनना होगा ।
पर सावधान तेरे घर में भी नर भुजंग रहते होंगे,
रिश्तों की चादर ओढ़ सदा हित की बातें करते होंगे,
ये नर भुजंग मानवता के पथ में रोड़े अटकाएंगे,
तेरे जागृत मन भावों पर ये जहर छिडकते जायेंगे,
है साथ तेरे मानव समाज पर संभल संभल चलना होगा,
हे भारत माँ की ललनाओ तुमको दुर्गा बनना होगा ।।।
जय माता दी
आया हूं तेरे द्वार,
माता शेरावाली।
दे दे अपना प्यार,
माता शेरावाली।
दूर कहीं पर बैठे-बैठे,
तू संसार चलाये।
तेरे आगे देव और मानव,
नतमस्तक हो जाये।
तेरी महिमा के आगे,
सब कुछ है बेकार
माता शेरावाली।
दुर्गम असुर को मार के मइया,
तू दुर्गा कहलाई।
रक्तबीज संहारन कारण,
तू काली बन आई।
तेरे चरणों के आगे,
सब कुछ है बेकार।
माता शेरावाली।
तेरे दर पर जो भी आये,
खाली हाथ न जाये।
भर दे तू झोली में इतना,
कभी न हाथ बढ़ाये।
धरती से अम्बर तक होती,
तेरी जय-जय कार।
माता शेरावाली।
माँ नैनों में बस गई

माँ नैनों में बस गई है
रूप अलग उसके कई हैं
हो कर सिंह पर सवार
माँ लगती रंगों की फ़ुहार
बढ़ जाता रिश्तों में प्यार
माँ लाती खुशियाँ अपार
बढ़े समाज में संस्कार
हो समस्त दुष्टों का संहार
रूप सौंदर्य तेरा ऐसा अनोखा
जैसा पहले कभी न देखा
पावन तेरे कदम जब पड़ते
रोग दरिद्र सब हैं घटते
देख तुझे दुष्ट होते प्रकम्पित
माँ तेरी शक्ति अलौकिक
है मेरी यही प्रार्थना
पूरी हो सबकी मनोकामना
बढ़े सबकी तुझमें आस्था
बारंबार प्रणाम तुझे हे जगत माता।
….जया सहाय
माँ दुर्गा
तेरा दर लागे मुझे प्यारा
झूठा सारा संसार
चरणों में स्थान मुझे दे दो
मेरा कर दो बेडा पार,
तेरा दर लागे मुझे प्यारा
झूठा सारा संसार।
ए अंबे तू दुःख हरिणी
सब संकट करती दूर
तेरी कृपा हो जिस पर माता
वो होता न मजबूर,
कलेश सभी मिट जाएँ
खुशियों की आये बहार
तेरा दर लागे मुझे प्यारा
झूठा सारा संसार।
जग की रक्षा की खातिर
कई राक्षस तूने मारे
उन पर है कृपा की तूने
जो भक्त हैं तेरे प्यारे,
क्या कोई उसका बिगाड़े
बने जिसकी तू पालनहार
तेरा दर लागे मुझे प्यारा
झूठा सारा संसार।
तू दुर्गा तू है काली
तू सबकी करे रखवाली
जो तेरी चौखट पर आ जाए
वो जाता नहीं है खाली,
जो तुझे सच्चे मन से ध्याये
तू उसका करे उद्धार
तेरा दर लागे मुझे प्यारा
झूठा सारा संसार।
कर जोड़ करूँ मैं विनती
तू सब पर कृपा यूँ ही करना
सही राह सभी अपनाएँ
बहे सदा प्यार का झरना,
तेरी ही तो शक्ति है
इस दुनिया का आधार
तेरा दर लागे मुझे प्यारा
झूठा सारा संसार।
चरणों में स्थान मुझे दे दो
मेरा कर दो बेड़ा पार,
तेरा दर लागे मुझे प्यारा
झूठा सारा संसार।
Maa Durga Par Kavita
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं मां,
मन मेरे संताप भरा है, मैं कैसे मुस्काऊं मां।
कदम-कदम पर भरे हैं कांटे, ऊंची-नीची खाई है,
दुःखों की बेड़ी पड़ी पांव में, किस विधि चलकर आऊं मां।
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं मां।
सुख और दुःख के भंवरजाल में, फंसी हुई है मेरी नैया,
कभी डूबती, कभी उबरती, आज नहीं है कोई खिवैया।
छूट गई पतवार हाथ से, किस विधि पार लगाऊं मां,
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं मां।
पाप-पुण्य के फेर में फंसा हूं, मैंने सुध-बुध खोई मां,
अंदर बैठी मेरी आत्मा, फूट-फूटकर रोई मां।
बोल भी अब तो फंसे गले में, आरती किस विधि गाऊं मां,
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं मां।
पाप-पुण्य में भेद बता दे, धर्म-कर्म का ज्ञान दे,
मेरे अंदर तू बैठी है, इतना मुझको भान दे।
फिर से मुझमें शक्ति भर दे, फिर से मुझमें जान दे,
नवजात शिशु-सा गोद में खेलूं, फिर बालक बन जाऊं मां।
तू ही बता दे, किन शब्दों में, तुझको आज मनाऊं मां,
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं मां।
कृपा करो मां दुर्गा
तेरे इंतज़ार में मां दुर्गा हम लोग,
कब से तेरे दर पर यूं ही बैठे हैं।
काश तुम जल्दी से दर्शन दे दो,
यह आस हम लोग लगाए बैठे हैं।
दृढ़ विश्वास है हमें कि एक दिन,
आप हालात हमारे अवश्य समझोगी।
दिल में छुपे हुए जज़्बातों का तुम,
मां दुर्गा मोल अवश्य एक दिन समझोगी।
दुःख दर्द चलते रहते हैं दुनिया में,
यह जगत जननी मां दुर्गा की सब माया है।
मुझ नादान की गलतियों को मां,
आप ने कर्मों से ठीक करवाया है।
तेरे चरणों में जगह मिल जाएं माता,
यह इच्छा पूरी करने को जीवन पाया है।
आपके आशिर्वाद से जान गया मां,
धरा पर सब झूठी मोह माया है।
पूरी कर दो मुराद हमारी मां दुर्गा,
उम्मीद लगा मैं शरण तुम्हारी आया हूं।
मैं भक्त नादन तेरी चौखट पर मां,
अपने ग़लत कर्मों को त्यागने आया हूं।
भला हो सारे जगत का मां दुर्गा,
दर पर यह अरदास मैं लेकर आया हूं।
ज्योति जले सदा सनातन धर्म की
दुनिया में,मां आपसे यह प्रार्थना करने आया हूं।
सद्बुद्धि मिले जल्द नादान लोगों को मां,
मैं तेरी चौखट पर भीख मांगने यह आया हूं।
सुख शांति समृद्धि वैभव ऐश्वर्य रहे देश में मां,
इस आस से मां दर पर तेरे आया हूं।
हे मां दुर्गा मैं तेरा एक भक्त नादन,
कोटि-कोटि नमन वंदन करने तेरे दर पर आया हूं।
….दीपक कुमार त्यागी
नवरात्रि
आ गया नवरात्र माँ की भक्ति का त्यौहार ।
सज रहा है माँ भवानी का सुघर दरबार।।
रक्त वसना आभरण युत खुले कुंचित केश
सिंह पर शोभित सुकोमल शक्ति का आगार।।
उड़ रही है धूप फूलों की सुगंध सुवास
ला रहा उपहार कोई फूल कोई हार।।
ठनकता तबला सरंगी और बजता ढोल
कर रहे हैं भजन के स्वर भक्ति का संचार।।
दुर्व्यवस्था देश की है दुखी सारे लोग
नाव जर्जर भँवर में है माँ करो उद्धार।।
दुर्विचारों दुष्प्रचारों ने किया आघात
जगद्धात्री जगत जननी अब करो संहार।।
कर रहा सिंदूर अर्पण मात्र कोई धूप
पास मेरे सिर्फ श्रद्धा करो अंगीकार।।
…..रंजना वर्मा
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Hindi Poem On Maa Durga
नवरात्री में नवदुर्गा नव नव रूप धरे
हर रूप की अपनी महिमा
कुछ शब्द न कह पाएं
शैलपुत्री तुम प्रथम कहलाती
हिमराज की सुता कहलाती
द्वित्य ब्रह्म चारिणी हो तुम
दुखियों की दुखहारिणी हो तुम
चंद्र घटना तृतीय रूप है तेरा
दुष्ट प्रकम्पित होते सारा
कुश्मांड़ा तेरा रूप चतुर्थकम
उल्लास का देती नया सोपनं
पंचम स्कन्द माता कहलाती
कार्तिकेय के संग पूजी जाती
षष्टम कात्यायनी हो तुम
कात्यान ऋषि की सुता हो तुम
कालरात्रि तेरा सप्तम रूप है
दुष्टो का बेडा गर्क है
अष्टम में तुम महा गौरी
कुंदन सुमन सी कोमल नारी
नवम सिद्धि दात्री हो तुम
सुख समृद्धि और मोक्ष की माता हो तुम
दुर्गा माता रानी तू ही भवानी
आदिशक्ति हे मां काली, ढाल खड्ग खप्पर वाली।
सिंह सवार मां जगदंबे, दुखड़े दूर करने वाली।
असुर संहारिणी ज्वाला, तू ही पर्वत निवासिनी।
दुर्गा माता रानी, तू ही भवानी।
सजा दरबार निराला, रणचंडी शक्ति स्वरूपा।
कमल नयनो वाली, माता का रूप अनूपा।
शंख चक्र त्रिशूल सोहे, सौम्य रूप मां वरदानी।
दुर्गा माता रानी, तू ही भवानी
महिषासुर मर्दिनी महामाया, चंड मुंड संहारिणी।
सब सिद्धियां देने वाली, जग की पालन हारनी।
यश वैभव सुख दाता, तू ही शक्ति मर्दानी।
दुर्गा माता रानी, तू ही भवानी।
जग की करतार माता, तुम ही मां भाग्यविधाता।
बल बुद्धि देने वाली, पूजा करके दीप जलाता।
हाथ जोड़ खड़े द्वारे, भक्त तिहारे मां सुरज्ञानी।
दुर्गा माता रानी, तू ही भवानी।
माता का अवतार
जब संतों पर वार हुआ है ।
माता का अवतार हुआ है ।।
दुख सबके वो हर लेती हैं ।
सुख वैभव सबको देती हैं ।।
शेर सवारी शोभा प्यारी ।
माँ की सूरत सबसे न्यारी ।।
भैरो – हनुमत करते सेवा ।
माँ दोनों को देतीं मेवा ।।
लाल चुनरिया पहने माता ।
इनकी महिमा सब जग गाता ।।
करती सबको प्यार बराबर ।
माँ का दिल है जैसे सागर ।।
मुख मंडल पे सूरज चमके ।
शंख,त्रिशूल, गदा भी दमके ।।
माँ के चरणों का मैं प्यासा ।
बस उनसे ही सबको आशा ।।
Maa Durga Poem
नव दुर्गा माँ शक्ति जननी

नव दुर्गा माँ शक्ति जननी हर घर में आज आई है।
नवरूप के स्वागत में सगर विश्व ज्योत जलाई है।।
हर विपदा को हरने माता आज धरती पर आई है।
आंचल फैलाए रंक और राजा सब ने शीश झुकाई है।।
सबकी झोली भरने वाली सिंह पर सवार होकर आई है।
जय-जय गान करती धरती, कण-कण में उल्लास समाई है।।
ममता से सजी मुरत नव दुर्गा माँ स्वर्ग से उतर कर आई है।
दशो भुजाओं से मानस का उद्धार करने माता आई है।।
भजन, कीर्तन, भोग आरती की थाल सबने सजाई है।
महादेव के साथ माता आज साक्षात दर्शन देने आई है।।
जय माँ दुर्गा
जय जगदम्बा जननी माँ दुर्गा भवानी,
गाए तुम्हारी लीला
संसार का हर प्राणी।
तुम वीरों की शक्ति माता,
कमज़ोरों की हो ढाल।
तुम जग की करुणामयी माता,
जगत तुम्हारा लाल।
जब भी आई है जग पर,
कोई विपत्ति भारी।
तुमने आँचल फैला कर,
हर ली पीड़ा सारी।
तुम्हारे क्रोध के आगे ,
देव- दानव काँपे थर थर।
किंतु ममता छिपी हुई है,
तेरे क्रोध के भी अंदर।
तेरी शक्ति से ही शासित,
है ब्रह्मांड ये सारा।
जिसका न कोई साथी माता,
उसका तू है सहारा।
देवों ने जब पुकार लगाई,
देख विपत्ति भारी।
दौड़ी आई रक्षा को माता
लिये सिंह सवारी।
देख माता का रौद्र रूप
महिषासुर घबराया।
दानवों के प्रकोप से तूने,
जग को मुक्त कराया।
काली रूप धर कर तूने ही
रक्तबीज को हराया।
माता तेरी शक्ति के आगे
कोई टिक न पाया।
है दानव हर गली में माता
सर्वत्र फैला अंधियारा।
शक्ति रूप ले कर आओ माता,
फैला दो उजियारा।
….अंशु प्रिया
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